Fursat ke pal

Fursat ke pal

Wednesday 4 July 2012


छोड़ कर जो चल दिए मुझे यूँ बीच राह में अकेले
क्या बिन मेरे तुम खुद अकेले जी पाओगे ??
बीते हुए कुछ नाजुक से पलों को साथ के अपने
क्या तुम अपनी यादों से भुला भी पाओगे ??
छाप दिया अक्स तुमने अपना मेरे इस जीवन पर
क्या उस अक्स को तुम धुंधला भी कर पाओगे ??
जब अंत यही था अपनी प्रेम कहानी का
तो मेरी जिंदगी में तुम आये ही क्यूँ थे ??
हसीं सपने दिखा मुझको तुम लुभाए ही क्यूँ थे ??
मैंने सुना था प्यार में दिल टूट भी जाया करते हैं
मेरा दिल यूँ टूटेगा सोचा ना था
मेरा सपना ही मुझसे छूटेगा सोचा ना था
सुना था दूरियां भी नजदीकियों का कारण बनती हैं कभी कभी
क्या हमारी ये दूरियां उसे मेरी याद दिलाएंगी ??
बीते पलों की प्यार से सिंचित बहारें क्या फिर से लौट कर आएँगी ??

अपनी इन्ही दूरियों को नजदीकियों में बदलने की चाह में
तुम्हारी पुजारन .........मैं
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