Fursat ke pal

Fursat ke pal

Sunday 15 September 2013

मुझे पसंद है ब्रांडेड सामान 
किन्तु हमेशा ही पहुँच से दूर 
पसंद है तो है 
क्यों ना विंडो शोपिंग के जरिये मज़ा लिया जाए भरपूर 
तो चल दिए हम 
पैरों में पहन अपने 
एक मात्र एडिडास के जूते
विंडो शापिंग को 
सच असीम आनंद है 
आधी हसरत 
चीज देख हो जाती पूरी
और कुछ छूने के बाद भी रह जाती अधूरी
गुच्ची के पर्स
हमेशा ही मेरी पहुँच से दूर
क्यूँ ना लूँ छूकर इसका मज़ा भरपूर
महीने भर की तनख्वाह
कैसे एक बटुए पर उड़ा दूँ
ना बाबा ना
किन्तु देखने में है कौन हर्ज़
खुद की एक इच्छा शांत करना भी तो है मेरा ही फ़र्ज़
बड़े आत्म विश्वास के साथ
दाखिल हुए और और उठा लिया वही पर्स
जो खिड़की में से देखते ही लुभा गया मुझे
प्राइस टेग सबसे पहले नज़र आया जो डरा गया मुझे
१४५९९९ मात्र वाह क्या कहने
अपनी जेब जबाब दे जायेगी
यह इच्छा तो सेल के सीजन में भी अधूरी रह जायेगी
कोई बात नहीं जी मन है समझा लिया
कंधे पर डाला शीशे में नज़र डाल देखा
और लो जी हो गयी हसरत पूरी
अब आ गयी सत्यपाल साड़ियों की बारी
साड़ी जिनके आगे हर नारी हारी
बुत पर लगी हर साड़ी लुभाती है
खरीदने को मजबूर कर जाती है मुझे ...........पर
हो गयी मुझपर भारतीय नारी फिर एक बार हावी
ना मत ललचा अंजना तेरे पास नहीं है किसी धन कुबेर के ताले की चाभी
एक दो बार पहनी फिर किस काम की ...सोचा ...और बढ़ गए आगे
बीबा की कुर्तियाँ हाँ बहुत पसंद हैं मुझे
और जेब पर ज्यादा भारी भी नहीं पड़तीं
तो लो जी कुछ तो खरीद ही लिया
ज्वेलरी शाप .....कितनी ही ले लो कम है
खूबसूरती में चार चाँद लगाने को जितनी भी लो कम है
अब आ गया शो रूम वुडलेंड का
और जूते चप्पल मेरी कमजोरी
यहाँ आते ही तो जाती है मेरी हसरत पूरी
कोई समझौता नहीं इस पसंद से
कुछ लिया कुछ पसंद किया और छोड़ दिया
४०% सेल में भी तो कुछ लेना है
सेल का भी खेल क्या खूब निराला है
इसने भी जम कर हमारी जेब पर डाका डाला है
कुछ हसरत की पूरी कर और कुछ छोड़ दीं अधूरी
और चल दिए हम
हाथ में कुछ पेकेट थामे ........सेल के मौसम के इंतज़ार में