तेरी चाहत में बड़ी दूर तक चले आये हम
मेरी बदकिस्मती के तू दो कदम भी साथ चल न सका
टूटने की न हो आवाज़ फिर भी दिल टूट जाते हैं
ये वो दिल है जो टूट के फिर जुड़ न सका
तेरे प्यार की की थी आरजू पर कभी मिल न सका
इस चमन में सजाये फूल पर कभी खिल न सका
बस यही दुआ है की रहो सदा सुकून से तुम
मिले हर सुख तुम्हें जो मुझे कभी मिल न सका
_______________अंजना चौहान ____
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