Fursat ke pal

Fursat ke pal

Saturday 14 April 2012


तेरी चाहत में बड़ी दूर तक चले आये हम
मेरी बदकिस्मती के तू दो कदम भी साथ चल न सका

टूटने की न हो आवाज़ फिर भी दिल टूट जाते हैं
ये वो दिल है जो टूट के फिर जुड़ न सका

तेरे प्यार की की थी आरजू पर कभी मिल न सका
इस चमन में सजाये फूल पर कभी खिल न सका

बस यही दुआ है की रहो सदा सुकून से तुम
मिले हर सुख तुम्हें जो मुझे कभी मिल न सका

_______________अंजना चौहान ____

No comments:

Post a Comment