Fursat ke pal

Fursat ke pal

Saturday, 14 April 2012


लौट कर आ जाओ अब तो
मेरे प्यार की सौगंध तुमको
दिल में उठता है भंवर पर चुप रहा जाता नहीं
न बोले कुछ भी ये अधर पर अब कुछ भी सहा जाता नहीं
बात होठों तक ना आये पर इन अश्रुओं से अब रुका जाता नहीं
बिन तेरे मैं चलूँ कैसे अब इक पग भी चला जाता नहीं
लौट आओ प्राण प्रिय अब रहा जाता नहीं
सागर सी हो लहरों सी तुम किनारे पर तो आना ही होगा
प्यार का मीठा राग तुमको अब तो सुनाना ही होगा
मन निमंत्रण दे रहा है मेरे प्यार की सौगंध तुमको
हार कर अब थक गया हूँ मिट जाऊँगा न मिलने पर मैं तुमको
दिखती हो चहुँ और मुझको चांदनी रात का तुम चाँद बन कर
साथ तेरा चाहता हूँ मैं भी ऊँचा आसमान बन कर
लौट आओ प्राण प्रिय जीवन का हर सांस बन कर
इस जीवन को पूरा कर दो जीवन का अमिट श्रृंगार बन कर
_________________अंजना चौहान ___________________

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