Fursat ke pal

Fursat ke pal

Sunday, 3 March 2013

दो हंसों का जोड़ा जब मधुर मिलन में खो जाता है 
बेजुबानों का निश्छल प्रेम हमें मुहब्बत का पाठ पढाता है 
न्योछावर करने को तन मन यह हमें ललचाता है 
एक दूजे के लिए समर्पण यह हमें सिखलाता है 
देख कर सुन्दर चित्र सलोना मन चंचल हो जाता है 
साथ पीया का चाहूँ मैं भी अब इंतज़ार मुझे सताता है
जल्दी आ जाओ प्रियतम अब और रुका नहीं जाता है 
विरह के बादल छंट आये यह मधुमास तुम्हें बुलाता है..

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