Fursat ke pal

Fursat ke pal

Sunday, 6 May 2012


आज सुन्दरी कह किसी ने पुकारा हमें
एक साथ कई सवालों ने आ घेरा हमें
आईने के सामने ला कर खड़ा कर दिया
गौर से आईने में खुद को न देखा था सदियों से
उसने ध्यान से देखने पर मजबूर कर दिया
देखा उम्र के निशाँ दिखने लगे हैं अब
कुछ चेहरे पर ,बालों पर भी अब तो होने लगा है असर
क्यूँ सुन्दरी कह उसने पुकारा
दिल सोचने को मजबूर करने लगा
पुछा उसी से ...वो कहने लगा
तन की सुन्दरता देखना ही बस इंसान की फितरत
मन की सुन्दरता न देखे कोए
जब तन की सुन्दरता ओढ़े सुन्दरी कहलाये
तो मन से सुंदर सुन्दरी काहे न कहलाये
यही सोच फिर हटी सामने से आईने के
आई फिर आपने उसी रूप में जो मुझपर फबता है बरसों से
बच्चों संग बच्ची बन जाना ,बड़ों संग बड़ी और हम उमर संग हसीं ठिठोली
सोचती हूँ सच ही कहा उसने ....
मन की सुन्दरता के आगे तन की सुन्दरता के कोई मायने नहीं


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