परेशानियों का सबब यह जिंदगानी है
ना बिजली है ना पानी है
रोजमर्रा की वस्तुओं के ऊँचे होते जा रहे दाम
बढती हुई महंगाई की निशानी हैं
मिलावट का कारोबार गरम है
जो खा रहे हैं उसके नकली होने का भरम है
दूध में घुल रहा जहर तो दूध बंद कर सकते हैं पीना
लेकिन घुल रहा है जो जहर हवाओं में तो क्या बंद कर दें सांस भी लेना
दवाएं नकली हो रहीं दुआओं से काम चलाओ
अपनापन अब रहा नहीं आपसदारी में,तो लाउडस्पीकर बजवाओ
गंगा मैली हो गई यमुना से बची ना कोई आस
मुश्किल हुआ अब सोचना कैसे बुझ पाएगी प्यास
अभावों में जी रहे इंसान के बढ़ रहे अभाव
खून की गर्मी इतनी बढ़ गयी खाता अब वो भी ताव
जवानी मशगूल है प्यार के किस्से दोहराने में
योजनायें बंद तरक्की की पड़ी हैं दफ्तर खाने में
पुरानी समस्याएं खड़ी हैं मुंह बाए नए बिल हो रहे पास
संसद से अब जनता भला कैसे लगाए आस
आन्दोलन के चलने से जनजीवन ठप्प हो जाता है
सैलाब जब उमड़ घुमड़ सड़कों पर उतर आता है
तो भैय्या कोई तो जुगत भिड़ाओ
इन समस्याओं से पार पाने को
सवा सौ करोड़ से ज्यादा की जनता की अगुआई को
कोई तो आगे आओ .............................. ..........अंजना चौहान
ना बिजली है ना पानी है
रोजमर्रा की वस्तुओं के ऊँचे होते जा रहे दाम
बढती हुई महंगाई की निशानी हैं
मिलावट का कारोबार गरम है
जो खा रहे हैं उसके नकली होने का भरम है
दूध में घुल रहा जहर तो दूध बंद कर सकते हैं पीना
लेकिन घुल रहा है जो जहर हवाओं में तो क्या बंद कर दें सांस भी लेना
दवाएं नकली हो रहीं दुआओं से काम चलाओ
अपनापन अब रहा नहीं आपसदारी में,तो लाउडस्पीकर बजवाओ
गंगा मैली हो गई यमुना से बची ना कोई आस
मुश्किल हुआ अब सोचना कैसे बुझ पाएगी प्यास
अभावों में जी रहे इंसान के बढ़ रहे अभाव
खून की गर्मी इतनी बढ़ गयी खाता अब वो भी ताव
जवानी मशगूल है प्यार के किस्से दोहराने में
योजनायें बंद तरक्की की पड़ी हैं दफ्तर खाने में
पुरानी समस्याएं खड़ी हैं मुंह बाए नए बिल हो रहे पास
संसद से अब जनता भला कैसे लगाए आस
आन्दोलन के चलने से जनजीवन ठप्प हो जाता है
सैलाब जब उमड़ घुमड़ सड़कों पर उतर आता है
तो भैय्या कोई तो जुगत भिड़ाओ
इन समस्याओं से पार पाने को
सवा सौ करोड़ से ज्यादा की जनता की अगुआई को
कोई तो आगे आओ ..............................