Fursat ke pal

Fursat ke pal

Sunday, 9 December 2012

बताओ कैसे झुठला दूँ तुम्हारा वजूद मैं 
चन्दा से बन आते हो तुम चांदनी में नहला जाते हो 
सूरज से बन आते हो तुम किरणों से निखार जाते हो 
सही गलत जब समझाते हो पथ प्रदर्शक बन जाते हो 
दोस्त बन निभाते हो साथ तो मन मीत बन जाते हो 
बताओ कैसे झुठला दूँ तुम्हारा वजूद मैं ..................अंजना

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