Fursat ke pal

Fursat ke pal

Wednesday 26 February 2014

सुबह ८ बजे निकल जाते हो तुम दफ्तर को
शाम तक कागजों और फाइलों  में व्यस्त
इसी लिए मैं अक्सर तुम्हें दिन में एक बार
घुमा लेती हूँ फोन यही सोचकर कि
शाम होते होते कहीं तुम भूल ना जाओ मुझे
क्योंकि मैं तुम्हें कभी भी
खुद को भूलने का मौक़ा दूँगी ही नहीं 

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