Fursat ke pal

Fursat ke pal

Wednesday 9 May 2012

क्या भारत सिर्फ गरीबों का ही देश है ?
नहीं ऐसा नहीं है
कम से कम यहाँ के बड़े बड़े शहरों की
चकाचौंध को देख ऐसा नहीं कहा जा सकता
तो फिर क्यों विदेशियों को
हमारे देश में सिर्फ और सिर्फ
गरीबी और भुखमरी ही दिखाई देती है
ये प्रश्न हमेश कौंधता है मेरे जहन में
फिर क्यों विदेशी चलचित्र बनाने वालों को स्लम एरिया
गरीब , भूखे नंगे लोग , और शहर के किनारे
मलिन बस्तियों में रहने वाले लोग ही दिखते हैं
ये विदेशी लोग हमारी गरीबी का मजाक उड़ा कर आस्कर तक जीत जाते हैं
और हम बस यूँ ही देखते रह जाते हैं
क्या यही हमारी सभ्यता है ?
क्या समय समय पर यूँ ही हमारा मजाक बनता रहेगा ?
हम यूँ ही चुप बैठे रहेंगे
क्या उन लोगो के खुद के देश में गरीबी नहीं है ?
क्या कभी सरकार कुछ कदम उठाएगी ?
या यूँ ही मूक दर्शक बनी बस देखती रहेगी ....
हाँ शायद देखती रहेगी क्योकि सत्ता के गलियारों तक पहुँचते हुए
न जाने कितनी ही बातों को वादों को सरकार भूल चुकी होती है
फिर इनको गरीबों से क्या लेना देना शायद कुछ नहीं
वोट मिल जाने के बाद
ये तो पांच वर्षों तक भूल चुके होते हैं गरीब वोट बैंक को
यही प्रश्न बस कचोटता रहता है हमेशा
कब तक आखिर कब तक गरीब की गरीबी का मजाक उड़ता रहेगा ??


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