Fursat ke pal

Fursat ke pal

Monday 14 May 2012

उदासी भी क्या होती है
इंसान को बहुत सी बातें
सोचने पर मजबूर कर देती है ...
क्यों हम अपने इर्द गिर्द
ऐसा वातावरण बना लेते हैं
क्या सोचा है कभी
क्यों ख़ुशी को छोड़
ग़मों को अपना लेते हैं
लेकिन क्यूँ ओढ़नी गम की चादर
क्या मिलता है ग़मों को अपनाकर
कुछ नहीं ....कुछ भी तो नहीं
तो फिर क्यों सोचना ऐसा
जिससे न मिले एक कौड़ी न मिले एक पैसा
सब अपने दुखों को भूल जाओ
गमो को छोड़ ख़ुशी को अपनाओ
फिर देखो कैसे चारों तरफ खुशहाली होगी
कोई न होगा मायूस ,न कहीं तंगहाली होगी
जितना पाओ उसी में खुश हो जाओ
बुराई को छोड़ अच्छाई को अपनाओ
बड़ों का करो सम्मान और छोटों से सम्मान पाओ
अच्छे अच्छे काम करो और प्रभु में ध्यान लगाओ

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