Fursat ke pal

Fursat ke pal

Sunday, 20 May 2012

बस तुम ही तुम

जिधर भी देखूं
बस तुम ही तुम
नज़र आते हो
मेरी हर फिजा में
तुम चुपके से
आकर बस जाते हो
मेरी साँसों में तुम
गहरे समाये हो
रूह का रिश्ता ही
कुछ ऐसा बना
तुम अब दो जिस्म
एक जान बन आए हो
हर जनम में मैं
बस तेरा साथ
यूँ ही चाहती हूँ
जैसे अपनाया इस
जन्म में, हर जन्म में
बस तुझको ही
पाना चाहती हूँ .

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