क्यों भूल गए तुम उन लम्हों को
जब हम पहरों एक दूजे संग
हंसते खिलखिलाते बिताया करते थे
कैसे हो जाती थी सुबह से शाम
भूल जाया करते थे
कभी तुम आते थे मुझको लेने
और कभी मिलने के
खूब बहाने बनाया करते थे
पीछे छूट गए वो बीते लम्हें वो अल्ल्हड़ पन
तुझ संग बीते करते हंसी ठिठोली
आज देखती हूँ पीछे मुड़ तो बस यादें ही बाकी हैं
क्यों कहा था तुमने तब मुझसे
हम जन्मो जन्मो के साथी है
अकेला जीवन कैसे बिताऊं तनहा
यही सोच कर दिल घबराता है
तू न सही पर तेरी यादों संग ही सही
अब मेरा गहरा नाता है
साथ ही तुम मुझको भी ले जाते अपने
ये एकाकी जीवन अब ........और न काटा जाता है
प्रिये अब और न काटा जाता है ....................
जब हम पहरों एक दूजे संग
हंसते खिलखिलाते बिताया करते थे
कैसे हो जाती थी सुबह से शाम
भूल जाया करते थे
कभी तुम आते थे मुझको लेने
और कभी मिलने के
खूब बहाने बनाया करते थे
पीछे छूट गए वो बीते लम्हें वो अल्ल्हड़ पन
तुझ संग बीते करते हंसी ठिठोली
आज देखती हूँ पीछे मुड़ तो बस यादें ही बाकी हैं
क्यों कहा था तुमने तब मुझसे
हम जन्मो जन्मो के साथी है
अकेला जीवन कैसे बिताऊं तनहा
यही सोच कर दिल घबराता है
तू न सही पर तेरी यादों संग ही सही
अब मेरा गहरा नाता है
साथ ही तुम मुझको भी ले जाते अपने
ये एकाकी जीवन अब ........और न काटा जाता है
प्रिये अब और न काटा जाता है ....................
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