Fursat ke pal

Fursat ke pal

Tuesday, 22 May 2012

मेरा एक पहला प्रयास .....
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तुम्हें चेहरा पढ़ लेने की आदत है 
मुझे चेहरा छुपाने की आदत नहीं |

मेरे उन छुपे लफ़्ज़ों का क्या होगा 
जो दिल में जज़्ब है पर इबादत नहीं |

जब तुम दिल के करीब ला सकते हो 
क्यूँ दिल में समाने की इजाजत नहीं |

जो गर तेरा प्यार ही तेरी पूजा है 
तो मेरा प्यार भी कोई शरारत नहीं |

तुझे नखरे दिखाने की आदत बहुत 
मेरे नखरों में भी कम अदावत नहीं |

तेरे प्यार पाने को मर मिटे सनम 
यह सिर्फ प्यार है कोई शहादत नहीं |

जब तुम दिल की जबाँ पढ़ लेते हो 
हमें लफ्जों में कहने की आदत नहीं 

2 comments:

  1. जब तुम दिल की जबाँ पढ़ लेते हो
    हमें लफ्जों में कहने की आदत नहीं
    very nice pantiyaan,, ahsaas,,,

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