एक पतली सी पगडण्डी
ऊँचे नीचे रास्तों पर
कहीं सीधी तो कहीं बलखाती
कहीं आड़ी तिरछी रेखाओं सी खिची
जहां सड़क नहीं वहां आज भी
ऊँचे नीचे रास्तों पर
कहीं सीधी तो कहीं बलखाती
कहीं आड़ी तिरछी रेखाओं सी खिची
जहां सड़क नहीं वहां आज भी
यही पहुंचाती गंतव्य तक
एक पतली सी पगडण्डी
पहाड़ी स्थान और जगह सुनसान
कठिन जीवन जंगल बियावान
कहीं नहीं विकास का नाम
भागती दौड़ती जिंदगी से यहाँ आज भी अनजान
आज भी दूर से पानी भर कर लाना
पैदल ही मीलों रास्ता तय कर जाना
इसी पगडण्डी से अपनों से जुड़ जाना
ये पगडण्डी आड़ी तिरछी रेखाओं सी खिंची
रास्ते के नाम पर एक मात्र पहचान
यहाँ न गाड़ियों का शोर ना ही प्रदूषण
ना ही यहाँ किसी को होती टेंशन
लोग सोते आराम से लम्बी चादर तान
बस यही एक पगडण्डी अपनों से जोड़ने का
एक मात्र साधन ...जिस पर लोग ढोते साजो सामान
एक पतली सी पगडण्डी
पहाड़ी स्थान और जगह सुनसान
कठिन जीवन जंगल बियावान
कहीं नहीं विकास का नाम
भागती दौड़ती जिंदगी से यहाँ आज भी अनजान
आज भी दूर से पानी भर कर लाना
पैदल ही मीलों रास्ता तय कर जाना
इसी पगडण्डी से अपनों से जुड़ जाना
ये पगडण्डी आड़ी तिरछी रेखाओं सी खिंची
रास्ते के नाम पर एक मात्र पहचान
यहाँ न गाड़ियों का शोर ना ही प्रदूषण
ना ही यहाँ किसी को होती टेंशन
लोग सोते आराम से लम्बी चादर तान
बस यही एक पगडण्डी अपनों से जोड़ने का
एक मात्र साधन ...जिस पर लोग ढोते साजो सामान
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