Fursat ke pal

Fursat ke pal

Saturday, 27 October 2012


आपकी हंसी
.....
कभी गुदगुदाती है
कभी दिल बहलाती है
कभी हंसाती है मुझे तो
कभी जोर से हँसाते हँसाते रुला जाती है ......आपकी खिलखिलाती हँसी

जब तुम हंसती हो ...
...
जब तुम हंसती हो तो मैं भी हंस देता हूँ
जब तुम हंसती हो तो मेरा रोम रोम खिल उठता है
जब तुम हंसती हो तो मेरी फिजा महकने लगती हैं
हंसती रहा करो तुम्हारा खिलखिलाकर हँसना अच्छा लगता है

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