Fursat ke pal

Fursat ke pal

Saturday, 27 October 2012

इस मखमली कोमल नाज़ुक तन को फूलों के गहने पहना दो
फूलो की भीनी खुशबू से तुम मेरे तन को महका दो
पक्षियों के कलरव से तुम इस गुलशन को गुंजा दो
तारो की चमकती ओढनी से तुम मेरा आँचल बना दो
तुम हो चंदा मै हूँ चांदनी तुम दोनों का अभिसार करा दो
अपने तन का एक स्पर्श तुम मेरे तन को कर दो
उगते सूरज की इस लाली से तुम मेरी मांग सजा दो
तड़पे है ये मन आ मेरा सजन आ मुझको दुल्हन बना दो

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