बिखरना मैंने सीखा नहीं
पिघलना मैंने सीखा नहीं
टकरा जाऊँगी किसी से भी अपने अधिकार कि खातिर
डरना मैंने सीखा नहीं
पिघलना मैंने सीखा नहीं
टकरा जाऊँगी किसी से भी अपने अधिकार कि खातिर
डरना मैंने सीखा नहीं
हाँ मैं एक स्त्री हूँ
अकारण किसी से झगड़ना मैंने सीखा नहीं
संस्कारों और मर्यादाओं का बंधन मुझे प्यारा है
पराये को पाने कि चाह में गिरना मैंने सीखा नहीं
हाँ मैं एक स्त्री हूँ
संभल कर चलना मैं जानती हूँ
आत्मविश्वास से भरी आत्मनिर्भर हूँ मैं
डरना मैंने सीखा नहीं
डोर हूँ रिश्तों की
रिश्तों को डोर में पिरो कर रखना जानती हूँ
परिवार का महत्त्व क्या होता है मैं बखूबी पहचानती हूँ
हाँ मैं एक स्त्री हूँ
सशक्त ,समस्याओं से जूझती और उबरती हुई
परिवार के लिए मर मिटना मैं जानती हूँ
हौसले से भरी
नाकामियों को शिकस्त देना मेरा काम है
पस्त होना मैंने सिखा नहीं
चोट खाने कि आदत है सिहरना मैंने सीखा नहीं
हाँ मैं एक स्त्री हूँ
अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाना मैं जानती हूँ
वक़्त के थपेड़ों को सहने कि अब आदत हुई
भीड़ से अलग
खुद में सिमटना मैंने सीखा नहीं
हाँ मैं एक स्त्री हूँ
हाँ मैं एक स्त्री हूँ
स्त्री को समाज में पहचान दिलाना जानती हूँ
अकारण किसी से झगड़ना मैंने सीखा नहीं
संस्कारों और मर्यादाओं का बंधन मुझे प्यारा है
पराये को पाने कि चाह में गिरना मैंने सीखा नहीं
हाँ मैं एक स्त्री हूँ
संभल कर चलना मैं जानती हूँ
आत्मविश्वास से भरी आत्मनिर्भर हूँ मैं
डरना मैंने सीखा नहीं
डोर हूँ रिश्तों की
रिश्तों को डोर में पिरो कर रखना जानती हूँ
परिवार का महत्त्व क्या होता है मैं बखूबी पहचानती हूँ
हाँ मैं एक स्त्री हूँ
सशक्त ,समस्याओं से जूझती और उबरती हुई
परिवार के लिए मर मिटना मैं जानती हूँ
हौसले से भरी
नाकामियों को शिकस्त देना मेरा काम है
पस्त होना मैंने सिखा नहीं
चोट खाने कि आदत है सिहरना मैंने सीखा नहीं
हाँ मैं एक स्त्री हूँ
अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाना मैं जानती हूँ
वक़्त के थपेड़ों को सहने कि अब आदत हुई
भीड़ से अलग
खुद में सिमटना मैंने सीखा नहीं
हाँ मैं एक स्त्री हूँ
हाँ मैं एक स्त्री हूँ
स्त्री को समाज में पहचान दिलाना जानती हूँ
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