Fursat ke pal

Fursat ke pal

Saturday 27 October 2012

मेरी बर्तन वाली मेरे बर्तन बहुत चमकाती है 
उलट पलट कर थाली को वह उसमें मुंह देख इठलाती है 
मेरी बर्तन वाली मेरे बर्तन बहुत चमकाती है 

धो धो कर बर्तनों को वह टोकरे में रखती जाती है 
थाली को कर किनारे पर खड़ा कटोरी पर कटोरी चढ़ाती है
गिलास में रखती है धो धो कर चम्मच
कुकर पर कढ़ाही पलट कर रख जाती है
मेरी बर्तन वाली मेरे बर्तन बहुत चमकाती है

खटर पटर के बीच बर्तनों की वह सुरीला राग सुनाती है
बर्तनों के बेसुरे तराने को उसकी मधुर आवाज दबाती है
जो भरा हो सिंक बर्तनों से तो वह गुस्से में चिल्लाती है
चाय पीती है गिलास में वह और नाश्ता करके जाती है
मेरी बर्तन वाली मेरे बर्तन बहुत चमकाती है

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