प्रकृति का सौन्दर्य अनूठा
प्रकृति की छठा निराली है
पहाड़ों की इन वादियों की कथा सुनाने वाली है
पानी के सोतों की निर्मल धारा
यूँ ही चलते फिरते मिल जाती है
प्रकृति की छठा निराली है
पहाड़ों की इन वादियों की कथा सुनाने वाली है
पानी के सोतों की निर्मल धारा
यूँ ही चलते फिरते मिल जाती है
पर्वतों की गोद से निकलती निर्मल धारा
स्वछंद निर्झर बहती जाती हैं
भव्य श्री बद्री श्री केदार यहाँ के
देश के तीर्थ स्थल कहलाते हैं
गंगोत्री यमनोत्री इन्ही के संग
चार धामों में गिने जाते हैं
यही से बहती माँ गंगे
उत्तरांचल को पूरे
जगत में पहचान दिलाती है
हरिद्वार ऋषिकेश पवित्र नगरी के
नाम से पहचान पाती हैं
इन्हीं वादियों में बीता था बचपन
यहीं हंसी ठिठोली करते थे
यहीं पर हम खेला कूदा करते थे
और इन्ही खेतों में चढ़ते और उतरते थे
कठिन था जीवन किन्तु सरस था
माँ की वो ममतामय छाव श्रद्रस था
अब भी जब याद आता है
मेरा गाव.........
मुझे बुलाता है __
स्वछंद निर्झर बहती जाती हैं
भव्य श्री बद्री श्री केदार यहाँ के
देश के तीर्थ स्थल कहलाते हैं
गंगोत्री यमनोत्री इन्ही के संग
चार धामों में गिने जाते हैं
यही से बहती माँ गंगे
उत्तरांचल को पूरे
जगत में पहचान दिलाती है
हरिद्वार ऋषिकेश पवित्र नगरी के
नाम से पहचान पाती हैं
इन्हीं वादियों में बीता था बचपन
यहीं हंसी ठिठोली करते थे
यहीं पर हम खेला कूदा करते थे
और इन्ही खेतों में चढ़ते और उतरते थे
कठिन था जीवन किन्तु सरस था
माँ की वो ममतामय छाव श्रद्रस था
अब भी जब याद आता है
मेरा गाव.........
मुझे बुलाता है __
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