Fursat ke pal

Fursat ke pal

Saturday, 27 October 2012

दहेज़ ही कुरीति फैलाती है अत्याचार 
प्रथा यह कर रही आज भी समाज को बीमार 
जिसे ब्याह कर लाये हो उससे बोल तो मीठे बोलो 
उसे हर रोज तुम दहेज़ के तराजू में ना तोलो 
जिसके साथ तुम जीवन भर करते हो साथ निभाने का वादा 
उसी को दहेज़ के लोलुप व्यवसायी कर देते हैं कूट कूट कर आधा
क्या तुमको उस अबला अबोध नारी पर जरा भी दया नहीं आती
जो अपने माता पिता, भाई बहन को छोड़ तुम्हारे घर आकर है बस जाती
इतना भी नहीं सोचते कि क़ानून के हत्थे चढ़ गए तो कहीं के नहीं रह जाओगे
प्रभु के बानाए बन्दों प्रभु से तो डरो उसकी लाठी में बहुत आवाज होती है उसे क्या मुंह दिखाओगे

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