दहेज़ ही कुरीति फैलाती है अत्याचार
प्रथा यह कर रही आज भी समाज को बीमार
जिसे ब्याह कर लाये हो उससे बोल तो मीठे बोलो
उसे हर रोज तुम दहेज़ के तराजू में ना तोलो
जिसके साथ तुम जीवन भर करते हो साथ निभाने का वादा
प्रथा यह कर रही आज भी समाज को बीमार
जिसे ब्याह कर लाये हो उससे बोल तो मीठे बोलो
उसे हर रोज तुम दहेज़ के तराजू में ना तोलो
जिसके साथ तुम जीवन भर करते हो साथ निभाने का वादा
उसी को दहेज़ के लोलुप व्यवसायी कर देते हैं कूट कूट कर आधा
क्या तुमको उस अबला अबोध नारी पर जरा भी दया नहीं आती
जो अपने माता पिता, भाई बहन को छोड़ तुम्हारे घर आकर है बस जाती
इतना भी नहीं सोचते कि क़ानून के हत्थे चढ़ गए तो कहीं के नहीं रह जाओगे
प्रभु के बानाए बन्दों प्रभु से तो डरो उसकी लाठी में बहुत आवाज होती है उसे क्या मुंह दिखाओगे
क्या तुमको उस अबला अबोध नारी पर जरा भी दया नहीं आती
जो अपने माता पिता, भाई बहन को छोड़ तुम्हारे घर आकर है बस जाती
इतना भी नहीं सोचते कि क़ानून के हत्थे चढ़ गए तो कहीं के नहीं रह जाओगे
प्रभु के बानाए बन्दों प्रभु से तो डरो उसकी लाठी में बहुत आवाज होती है उसे क्या मुंह दिखाओगे
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