Fursat ke pal

Fursat ke pal

Saturday 27 October 2012


कवि भावनाओं की उडान है
कभी आकाश में ऊँचे उडाता है तो
कभी गहरे समन्दर में गोते लगाता है
कवि क्रांति का आगाज है
कभी जोश भर देता है वीरता का तो
कभी पल में मायूस भी कर देता है
कवि एक साज है कवि तरन्नुम है कवि तराना है
कभी मीठा तराना छेड़ जाता है तो
कभी दर्द भरा नगमा सुनाता है
कवि हँसाने का एक बुलबुला है
कभी हँसता है तो
कभी हंसाते हंसाते रुलाता है
कवि कल्पना है कवि अहसास है कवि आस है
कभी सत्य है तो
कभी छलावा है
कवि अजर अमर है क्योंकि
कवि भावना है...और भावनाएं कभी नहीं मरती हैं

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