एक बेहतर कल की चाह है
तो क्यूँ नहीं अपना आज सजाते हम
जो भटक रहें हैं राह से अपनी
तो क्यूँ नहीं उन्हें सीधी राह दिखाते हम
कोई भूखा न सोये देश में कभी
तो क्यूँ नहीं अपना आज सजाते हम
जो भटक रहें हैं राह से अपनी
तो क्यूँ नहीं उन्हें सीधी राह दिखाते हम
कोई भूखा न सोये देश में कभी
तो क्यूँ नहीं गरीबी को जड़ से मिटाते हम
नाम ऊँचा हो देश का अपने जग में
तो क्यूँ नहीं आगे कदम बढ़ाते हम
बेटियों की संख्या कम हो रही है देश में
तो क्यूँ नहीं बेटियों को बचाते हम
जब फैला हो अन्धकार धरा पर
तो क्यूँ नहीं उजियारा फैलाते हम
नाम ऊँचा हो देश का अपने जग में
तो क्यूँ नहीं आगे कदम बढ़ाते हम
बेटियों की संख्या कम हो रही है देश में
तो क्यूँ नहीं बेटियों को बचाते हम
जब फैला हो अन्धकार धरा पर
तो क्यूँ नहीं उजियारा फैलाते हम
No comments:
Post a Comment