Fursat ke pal

Fursat ke pal

Saturday 27 October 2012

एक बेहतर कल की चाह है 
तो क्यूँ नहीं अपना आज सजाते हम 
जो भटक रहें हैं राह से अपनी 
तो क्यूँ नहीं उन्हें सीधी राह दिखाते हम 
कोई भूखा न सोये देश में कभी 
तो क्यूँ नहीं गरीबी को जड़ से मिटाते हम
नाम ऊँचा हो देश का अपने जग में
तो क्यूँ नहीं आगे कदम बढ़ाते हम
बेटियों की संख्या कम हो रही है देश में
तो क्यूँ नहीं बेटियों को बचाते हम
जब फैला हो अन्धकार धरा पर
तो क्यूँ नहीं उजियारा फैलाते हम

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