आज सुन्दरी कह किसी ने पुकारा हमें
एक साथ कई सवालों ने आ घेरा हमें
आईने के सामने ला कर खड़ा कर दिया
हमें आज उसने खुद ही से रूबरू कर दिया
एक साथ कई सवालों ने आ घेरा हमें
आईने के सामने ला कर खड़ा कर दिया
हमें आज उसने खुद ही से रूबरू कर दिया
गौर से आईने में खुद को न देखा था सदियों से
उसने ध्यान से देखने पर मजबूर कर दिया
देखा उम्र के निशाँ दिखने लगे हैं अब
कुछ चेहरे पर ,बालों पर भी असर होने लगा है अब
क्यूँ सुन्दरी कह उसने पुकारा
क्या वो देता है कोई गुप चुप इशारा
दिल सोचने को मजबूर करने लगा
पुछा उसी से ...वो कहने लगा
तन की सुन्दरता देखना ही बस इंसान की फितरत
मन की सुन्दरता न देखे कोए
जब तन की सुन्दरता ओढ़े सुन्दरी कहलाये
तो मन से सुंदर सुन्दरी काहे न होए
यही सोच फिर हटी सामने से आईने के
छलिया है ये , इस आईने का काम ही है छलना
आई फिर आपने उसी रूप में जो मुझपर फबता है बरसों से
बच्चों संग बच्ची बन जाना ,बड़ों संग बड़ी और हम उमर संग हसीं ठिठोली
सोचती हूँ सच ही कहा उसने ....
मन की सुन्दरता के आगे तन की सुन्दरता के कोई मायने नहीं
उसने ध्यान से देखने पर मजबूर कर दिया
देखा उम्र के निशाँ दिखने लगे हैं अब
कुछ चेहरे पर ,बालों पर भी असर होने लगा है अब
क्यूँ सुन्दरी कह उसने पुकारा
क्या वो देता है कोई गुप चुप इशारा
दिल सोचने को मजबूर करने लगा
पुछा उसी से ...वो कहने लगा
तन की सुन्दरता देखना ही बस इंसान की फितरत
मन की सुन्दरता न देखे कोए
जब तन की सुन्दरता ओढ़े सुन्दरी कहलाये
तो मन से सुंदर सुन्दरी काहे न होए
यही सोच फिर हटी सामने से आईने के
छलिया है ये , इस आईने का काम ही है छलना
आई फिर आपने उसी रूप में जो मुझपर फबता है बरसों से
बच्चों संग बच्ची बन जाना ,बड़ों संग बड़ी और हम उमर संग हसीं ठिठोली
सोचती हूँ सच ही कहा उसने ....
मन की सुन्दरता के आगे तन की सुन्दरता के कोई मायने नहीं
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