Fursat ke pal

Fursat ke pal

Saturday, 27 October 2012

है मन चंचल मेरा बड़ा ही नटखट 
ये जब देखो उड़ जाता है 
कभी इधर तो कभी उधर 
ये कहीं ठहर ना पाता है 
दूर कभी आकाश में ऊँचे उड़ 
सूरज को चूम कर आता है
तो कभी गहरे पानी में डूब
ये मछलियों संग तैरता जाता है
अभी यहाँ तो अभी वहाँ
ये सात समुंदर पार कर
पल भर में घूम कर आता है
है मन चंचल मेरा बड़ा ही नटखट
ये जब देखो उड़ जाता है
कभी बन जाता है बच्चा छोटा सा
तो शैतानियाँ करता जाता है
कभी बन जाता है धीर गंभीर
तो समस्याओं को चुटकी में सुलझाता है
है मन चंचल मेरा बड़ा ही नटखट
ये जब देखो उड़ जाता है ....

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