Fursat ke pal

Fursat ke pal

Saturday, 27 October 2012

जन्म लिया और माँ के ममतामयी आँचल में पनपती है जिंदगी 
बचपन में हंसी ठिठोली करते पंख लगा कर उड़ जाती है जिंदगी 

गया बचपन जवानी आई ये बड़ी ही भाई है जिंदगी 

किसी के प्यार में हसीं सपने सजाती है जिंदगी 

कभी है तो हँसाती कभी रुलाती है कभी अपना बनती है ये जिंदगी
कभी खिला के प्यार में धोखा सiरे सपने भी तोड़ जाती है ये जिंदगी

एक प्यारी सी जीवनसंगीनि पायी गृहस्थी जोडती है जिंदगी
जीवन में कुछ उतार और कुछ चढ़ाव बस यूँ ही बीत जाती है जिंदगी

गयी जवानी आया बुढ़ापा किसी की अच्छी पर किसी की ठहरी है ये जिंदगी
अपने कुछ अधूरे सपनो को अपने ही बच्चों में सजाती है जिंदगी
बच्चो संग कभी कभी खुद भी बच्ची बन जाती है जिंदगी
किसी खुशनुमा किसी की लाचार तो किसी की अभीशाप ये है जिंदगी
इस जहां से उस जहां को प्यारी हो जाती है जिंदगी

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