मैं परिंदा हूँ
वो जो सुबह सूरज की किरणे फूटते ही
चहचहाने लगता है
जो आकाश में ऊँचे , बहुत ऊँचे उड़ता जाता है
मैं एक परिंदा हूँ
वो जो सुबह सूरज की किरणे फूटते ही
चहचहाने लगता है
जो आकाश में ऊँचे , बहुत ऊँचे उड़ता जाता है
मैं एक परिंदा हूँ
एक चंचल मन सा जो कभी कहीं नहीं टिकता
हाँ लेकिन साँझ ढले अपने घर को जरूर लौटता है
मैं परिंदा हूँ
जो दूर देश से मीलों का सफ़र तय कर आता है
अपनी मनपसंद जगह चुन वहां कुछ समय के लिए
मैं एक परिंदा हूँ
जो अपनी सुन्दरता से सबको मोह लेता है
निश्छल सा जो अपने में ही मग्न रहता है
आकाश में ऊँचे उड़ना जिसका काम है और
वो बस अपनी धुन में मग्न अपना काम बखूबी करता है
उसका काम है उड़ना तो वो आकाश में स्वछंद उड़ता है
बिना किसी रोक टोक उसे उड़ना पसंद है
वैसे ही मुझे भी एक पंछी सी ही जिंदगी भाती है
स्वछंद और बहती बयार सी बिन रोक टोक की
हाँ मैं कह सकती हूँ की मैं नील गगन में उड़ने वाला पक्षी हूँ
भावनाएं मुझे अभी यहाँ तो अभी वहां दूर तक पल में उड़ा ले जाती हैं
हाँ लेकिन साँझ ढले अपने घर को जरूर लौटता है
मैं परिंदा हूँ
जो दूर देश से मीलों का सफ़र तय कर आता है
अपनी मनपसंद जगह चुन वहां कुछ समय के लिए
मैं एक परिंदा हूँ
जो अपनी सुन्दरता से सबको मोह लेता है
निश्छल सा जो अपने में ही मग्न रहता है
आकाश में ऊँचे उड़ना जिसका काम है और
वो बस अपनी धुन में मग्न अपना काम बखूबी करता है
उसका काम है उड़ना तो वो आकाश में स्वछंद उड़ता है
बिना किसी रोक टोक उसे उड़ना पसंद है
वैसे ही मुझे भी एक पंछी सी ही जिंदगी भाती है
स्वछंद और बहती बयार सी बिन रोक टोक की
हाँ मैं कह सकती हूँ की मैं नील गगन में उड़ने वाला पक्षी हूँ
भावनाएं मुझे अभी यहाँ तो अभी वहां दूर तक पल में उड़ा ले जाती हैं
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