पिया की बाट जोहती प्रियतमा ....
......
आस क्यूँ जगाई मिलन की प्रिय
फिर क्यूँ न आये
अगन तुमने लगे मिलन की प्रिये
......
आस क्यूँ जगाई मिलन की प्रिय
फिर क्यूँ न आये
अगन तुमने लगे मिलन की प्रिये
फिर क्यूँ रहे बुझाए
इंतज़ार में अब तो बैचैन हुई जाती हूँ
सुध बुध भी खो बैठी हूँ
सुख चैन भी खोये जाती हूँ
आ जाओ प्रियतम मेरे
क्यों इतना तड़पाते हो
दूर दूर रहकर क्यूँ मुझसे
तुम इतना इतराते हो
जो मैं रूठी तुमसे प्रिये
तो फिर मना ना पाओगे
चाहे पुकारो मुझको कितना
पर फिर न वापस पाओगे
जो तुम छोड़ चले हो मुझको
मैं दुनिया को बिसरा दूंगी
सच्चा प्यार किया है तुमसे
मैं ये भी कर दिखला दूंगी
आ जाओ प्रियतम मेरे
क्यों इतना सताते हो
इंतज़ार में अब तो बैचैन हुई जाती हूँ
सुध बुध भी खो बैठी हूँ
सुख चैन भी खोये जाती हूँ
आ जाओ प्रियतम मेरे
क्यों इतना तड़पाते हो
दूर दूर रहकर क्यूँ मुझसे
तुम इतना इतराते हो
जो मैं रूठी तुमसे प्रिये
तो फिर मना ना पाओगे
चाहे पुकारो मुझको कितना
पर फिर न वापस पाओगे
जो तुम छोड़ चले हो मुझको
मैं दुनिया को बिसरा दूंगी
सच्चा प्यार किया है तुमसे
मैं ये भी कर दिखला दूंगी
आ जाओ प्रियतम मेरे
क्यों इतना सताते हो
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