वो नटखट , वो चंचल चतुर
वो मन मोहिनी , वो मृग नयनी
वो कंचन बदन
वो हंसती तो खिल जाता उपवन
वो बहाती अश्रु अविरल धारा तो झड़ते मोती
वो मन मोहिनी , वो मृग नयनी
वो कंचन बदन
वो हंसती तो खिल जाता उपवन
वो बहाती अश्रु अविरल धारा तो झड़ते मोती
वो है मेरा एक अद्भुत स्वप्न
वो कस्तूरी मृग
वो खिलाती चितवन
वो कस्तूरी मृग
वो खिलाती चितवन
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