Fursat ke pal

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Saturday 27 October 2012


काश !! समय पर गणित पढ़ा होता


काश हमने भी समय पर गणित पढ़ा होता तो इंजीनियर बन जाते
करते बड़े बड़े काम और खूब ही नोट कमाते
पर क्या करे इस बुद्धि का समय पर ना चल पायी
न सीखा अंक गणित इसने और ना ही बीज गणित सीखने की जुगत भिडाई
जोड़ घटा और गुणा भाग इनमें तो दिमाग रम जाता
पर बीज गणित की इकवेजन में तो सारा दिमाग ही गुल हो जाता
रेखाएं खींच बड़े आराम से त्रिभुज तो बना लेते
पर जब बारी आती कोण का मान बताने की तो हम दायें बाएँ हो लेते
फार्मूलो का खेल हमें कभी समझ ना आया
एक को किया याद अभी तो दूजे को उसमें मिलाया
पहाड़े रटते रटते हमारा दम ही निकल जाता
जब आती सुनाने की बारी हमारी तो चेहरा लाल हो आता
लघुत्तम और महत्तम का हिसाब समझ न आया
पाई का मान कैसे निकले इसने बड़ा भरमाया
त्रिज्या ,परिधि ,छेत्रफल ,घनत्व, आयत ये तो नाम ही कठिन से लगते
तो सोचो कैसे हम इनके फार्मूले भी रटते
प्रमेय और निर्मय का तो खेल कभी ना भाया
काम और घंटों के सवालों ने हमें बड़ा रुलाया
भिन्न और अनुपात के सवालों ने हमें बड़ा छकाया
वर्गमूल के कठिन सवालों ने जम कर पसीना छुडवाया
गिर पड़ कर किसी तरह पास होकर हम दसवीं तक आये
चुनने को मिला हमें विषय तो हम लिए गणित से पीछा छुडाये
तो भैय्या हमारी यही कमजोरी के चक्कर में हम इंजीनियर ना बन पाए
कैसे कमायें नोट अब हम कैसे जुगत भिड़ाये

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